
भारत मे कानून तो है, मगर लागू करने में ढिलाई, कानून बहुत ही प्रभावी, पर कभी कोई सजा, मुकदमा नहीं
- शिक्षा के मंदिरों के पास की स्थिति बेहद चिंतनीय
अभिषेक आचार्य
RNE Special.
धूम्रपान सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। इससे कई तरह की बीमारियां जन्म लेती है। कैंसर जैसे भयानक रोग का जन्म इस धूम्रपान की वजह से भी होता है। भारत में अरसे से धूम्रपान की वस्तुओं पर लिखा जा रहा है कि ‘ इसका सेवन हानिकारक है ‘। मगर इस वैधानिक चेतावनी के बावजूद धूम्रपान, तम्बाकू, गुटखा आदि की बिक्री हर साल घटने के बजाय बेतहाशा बढ़ती ही जाती है।
केंद्र सरकार ने वर्षों पहले यह कानून बनाया की हर धूम्रपान के उत्पाद जैसे सिगरेट, बीड़ी आदि तथा तम्बाकू के उत्पाद गुटखा आदि पर बनाने वाली कम्पनी को लिखना अनिवार्य होगा कि यह शरीर के लिए हानिकारक है। मगर क्या इतना भर कर देने से इन पर रोक लगेगी, यह तो सम्भव नहीं। साबित भी हो गया यह। क्योंकि हर शहर में बीकानेर की तरह ही इनकी बिक्री में इजाफा हुआ है।
सेलिब्रिटी करते है प्रमोट:
ये भी बहुत दुखद है कि इन हानिकारक पदार्थो का विज्ञापन बड़ी सेलिब्रिटी करती है। अनेक फिल्म अभिनेता इन चीजों का विज्ञापन करते है। हालांकि कुछ ऐसे अभिनेता भी है जो इनके विज्ञापन करने से साफ इंकार भी कर देते है।
सरकार कठोर क्यों नही:
हर नागरिक के मन में एक सवाल उठता है कि सरकार जब सख्त कानून बना चुकी फिर भी ये पदार्थ धड़ल्ले से बिक कैसे रहे है। इनका प्रचार प्रसार कैसे हो रहा है। सरकार को पता है कि मेरे देश के नागरिकों को इससे नुकसान हो रहा है, फिर भी वो चुप कैसे है।
सरकारें चुप थी और है, ये भी सच है। साफ वजह है कि सरकार को इससे बड़ा राजस्व मिलता है। मुनाफा उनको रोके रखता है। जबकि लोकतंत्र में सरकारों का ध्येय मुनाफा तो होता ही नहीं।
इनके अलावा राजनीतिक संरक्षण भी मिला हुआ है इसका उत्पादन करने वालों को पक्ष हो या विपक्ष, दोनों ही इनको संरक्षण देते है म इनका प्रतिकार न करना इनको संरक्षण देना ही तो है।
ये कर सकती है सरकार:
सरकार सर्वशक्तिमान है, वो जन हित में बहुत कुछ करने की शक्ति रखती है। वो इनकी बिक्री के बजाय इनके उत्पादन पर ही रोक लगा इसे गैरकानूनी घोषित कर सकती है। उल्लंघन करने वालों के लिए कठोर दंड का प्रावधान भी कर सकती है। सरकार की नजर में तो उसकी जनता पहले स्थान पर ही है। मुनाफा नहीं। तभी वह लोककल्याणकारी सरकार है।
फ्रांस सरकार का कल का निर्णय:
फ्रांस की सरकार अपने नागरिकों के स्वास्थ्य को लेकर बेहत गंभीर व चिंतित है। वहां इन पदार्थों, धूम्रपान से बीमारियां बढ़ने पर कल सरकार ने बड़ा निर्णय किया है। फ्रांस में सार्वजनिक स्थानों पार्कों, समुद्र तटों, एयरपोर्ट आदि पर धूम्रपान पर पूर्ण रोक लगा दी है। यदि कोई भी इसको तोड़ेगा तो उस पर भारी जुर्माना लगेगा। वहां कानून की पालना भी सख्ती से कराई जाती है। फ्रांस के इस निर्णय के बाद भारत को भी गम्भीर चिंतन नागरिक हित में करना चाहिए।
बीकानेर की हालत चिंताजनक:
इस मामले में बीकानेर की हालत तो बहुत चिंताजनक है। बाजार, सड़क, पार्क, भीड़भाड़ के इलाकों में सरेआम धूम्रपान होता है। कोई रोक टोक नहीं। गुटखा, तम्बाकू आदि की छोटी छोटी दुकानें अधिक संख्या में स्कूल, कॉलेज, अस्पताल के पास अधिक संख्या में है, क्योंकि यहां बिक्री अधिक होती है। जबकि शिक्षा विभाग के कानून के अनुसार स्कूल के आसपास ये दुकानें होनी नहीं चाहिए। मगर शायद ही कोई स्कूल हो जिसके पास ये दुकानें न हो। मगर आज तक किसी के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं हुई। मुकदमें दर्ज नहीं हुए। शिक्षा निदेशकों का कभी इस तरफ ध्यान ही नहीं गया होगा।
इस बिक्री को रोकने की जिम्मेवारी शाला प्रधान की होती है। न रोके तो कार्यवाही होती है। आज तक निदेशक ने किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। अब तो जागो शिक्षा मंदिरों के रखवालों।
कलेक्टर, एसपी से ये है उम्मीद:
जनता को जिले में किसी से उम्मीद रहती है तो वो होता है जिला कलेक्टर। फिर एसपी। आईजी व संभागीय आयुक्त। जिले में बसने वाले लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए उनको ही अब बीकानेर हित में ठोस कदम उठाना पड़ेगा।
ये कहना है नेता का:
देहात कांग्रेस के अध्यक्ष बिसनाराम सियाग न केवल राजनेता है अपितु वे सोशल एक्टिविस्ट भी है। स्वास्थ्य की रक्षा के लिए स्थायी रूप से वे रक्तदान शिविर आयोजित करते रहते है। जरूरतमंदों को रक्त उपलब्ध कराते है।
सियाग का कहना है कि जिला प्रशासन व सरकार मिलकर सघन अभियान चलाए तो फ्रांस की तरह ही बीकानेर में भी धूम्रपान को रोका जा सकता है। कलेक्टर महोदय शिक्षा निदेशक को भी बीकानेर हित में कानून की सख्ती से पालना करा सकती है। यदि ऐसा नहीं किया तो हम कांग्रेस की तरफ से मुहिम चलाएंगे। जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी करेंगे।
बिसनाराम सियाग, देहात कांग्रेस अध्यक्ष